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अशोक पालीवाल
संगीतकार चित्रकार की तरह ब्यूटीशियन भी एक कलाकार है. इस कला एवं इसके कलाकारों को समाज में उचित सम्मान दिलवाना उनका पहला कर्तव्य है.
भगतसिंह द्वारा आजादी के संघर्ष के दिनों में स्थापित भारत की जनवादी नौजवान सभा के सहसचिव भी रहे. विद्या भवन रूरल इंडस्टीट्यूट से स्नातक करने के बाद उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय से उन्होंने राजनीतिक विज्ञान एवं समाजशास्त्र विषयों के साथ दोहरी एमए की. सन् 1989 में विश्व बंधुत्व की भावना का प्रचार-प्रसार करने हेतु उन्हें विदेश जाने का मौका मिला.
अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा हो मूलभूत अधिकार- अशोक मानते हैं कि हर व्यक्ति का मूलभूत अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा होनी चाहिए. समाज के लिए उनकी कर-गुजरने की धुन कमाल की रही है . चाहे वह शिक्षा के निजीकरण के विरोध से जुड़ी रही या उदयपुर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना या उदयपुर में हाईकोर्ट बैच की स्थापना की मांग से जुड़ा आंदोलन. छात्रनेता रहते हुए अशोक ने विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान तथा प्रचलित शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु प्रयास के लिए आंदोलन छेड़ा. उदयपुर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए उनका आंदोलन रंग लाया और हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए अशोक को जेल यात्रा भी करनी पड़ी. आज भी उनके बुलंद हौंसले लोगों के लिए प्रेरणादायी है.
हेयर इंडस्ट्री स्थापना का सफर- कई राजनीतिक संस्थाओं में प्रतिष्ठित पद संभालने के बाद भी अशोक ने हेयर ड्रेसिंग व ब्यूटी इंडस्ट्री को आजीविका का माध्यम चुना. उनकी ब्यूटी इंडस्ट्री में की गई शीघ्र उन्नति, उनको प्राप्त प्रसिद्धि एवं पुरस्कार निःसंदेह यह दर्शाते हैं कि वह एक कुशल एवं अपने कार्य को समर्पित व्यक्ति हैं. अपने राजनैतिक जीवन से ग्रहण की गई शिक्षा एवं समानता, सुधार व बदलाव की भावना का अशोक ने ब्यूटी इंडस्ट्री में भी लागू करने की भरसक कोशिश की है. यह उनकी खूबी मुख्यतः उन्हें इस इंडस्ट्री में कार्यरत अन्य ब्यूटीशियंस से अलग करती है. सन् 1996 से उनकी धर्म पत्नी आशा इसी इंडस्ट्री में कार्यरत थी. सन् 2000 में वे उन्हें जावेद हबीब के पास प्रशिक्षण के लिए दिल्ली लेकर गए थे.
जावेद से प्रभावित होकर उन्होंने इस क्षेत्र को पूरी तरह आत्मसात करने का मानस बना लिया. उनकी इकलौती पुत्री श्वेताशा भी इसी क्षेत्र में कार्यरत है!
अंतराष्ट्रीय सफर- लगभग पंद्रह से अधिक देशों जैसे लंदन, पेरिस, बैकांक, हांगकांग, सिंगापुर, मलेशिया, टर्की, कोएशिया इत्यादि में भ्रमण एवं कार्य करने से पालीवाल के विचारों में जो गहनता, खुलापन एवं प्रगतिशीलता आई है उसका अनुभव हम उनसे बात करके उनके द्वारा किए गए सुधार कार्यों व आंदोलनों से कर सकते हैं.
ब्यूटी कला को भी मिले सम्मान- अशोक पालीवाल का मानना है कि संगीतकार, चित्रकार की भांति ब्यूटीशियन भी एक कलाकार है. इस कला एवं इसके कलाकारों को समाज में उचित सम्मान दिलवाना उनका पहला कत्र्तव्य है. वह ब्यूटी इंडस्ट्री में कार्यरत प्रत्येक ब्यूटीशियन से अनुरोध करते हैं कि वे एकजुट होकर कार्य करें तथा शिक्षा एवं ज्ञान अर्जन पर जोर दें. दूसरों की बाह्य सुंदरता को भी निखारें. प्रत्येक व्यावसायिक प्रतिष्ठान की भांति उनका भी सामाजिक उत्तरदायित्व हैं उनका मानना है जब हम स्वयं अपनी कला की कद्र करेंगे तथा इसमें अच्छी तरह से प्रशिक्षित होकर अपने ग्राहकों को फायदा पहुंचायेंगे, तब जाकर समाज हमारी इस कला की कद्र करेगा. हमारी इंडस्ट्री के लिए समाज में सम्माननीय स्थान प्राप्त करना हमारा उद्देश्य होना चाहिए. इसके लिए हमें अपने शिक्षा के स्तर व जागरूकता को बढ़ाना होगा. जिस प्रकार अन्य कलाओं में उत्कृष्ट योगदान के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय सम्मान से पुरस्कृत किया जाता है, उसी प्रकार ब्यूटी इंडस्ट्री को भी सम्मानित किया जाना चाहिए. अहमद हबीब, हरीश भाटिया, पंडरी दादा जैसे जाने-माने सौंदर्य विशेषज्ञों को सम्मानित करके आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. मुख्यतः जो महिलाएं इस इंडस्ट्री में कार्यरत हैं, उनके विकास, समानता तथा सम्मान पर जोर देना जरूरी है. ब्यूटीशियंस समाज के सौंदर्य को निखारकर एक आत्मविश्वास की भावना लाते हैं अतः उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाना जरूरी है.
अशोक पालीवाल हेयर एंड ब्यूटी आॅर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष हैं. वे आॅल इंडिया हेयर एण्ड ब्यूटी ऐसोसिएशन के महासचित हैं, जिसकी अध्यक्षा डा. संगीता चैहान हैं. इन संगठनों से जुड़े रहकर पालीवाल ने ब्यूटीशियन्स के लिए छोटे-बड़े कई सेमीनार एवं वर्कशाॅप आयोजित किए हैं.
उपलब्धियां- पालीवाली का प्रभात ब्यूटी पार्लर कई बार पुरस्कृत हो चुका है. उनकी बेटी श्वेताशा हेयर कलर व कट के लिए लोरियाल नॉर्थ इंडिया पुरस्कार से सम्मानित है. वेला की आॅनलाइन प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार का भी सम्मान प्राप्त हुआ है.